त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ गले रुण्डमालं तनौ https://shivchalisas.com